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BSNL JTO Recruitment 2023 |बीएसएनल भर्ती 2023|बीएसएनएल में 11705 पदों पर वैकेंसी जारी|BSNL JTO Recruitment 2023 - ऐसे करें आवेदन

BSNL JTO Recruitment 2023 बीएसएनल भर्ती 2023 का 11705 पदों पर निकली बंपर भर्ती, ऑनलाइन आवेदन 10  BSNL JTO Recruitment 2023 बीएसएनल भर्ती 2023 का 11705 पदों पर निकली बंपर भर्ती, ऑनलाइन आवेदन 10 जनवरी से शुरू BSNL JTO Bharti 2023 Official Notification Release For 11705 Posts, BSNL JTO Vacancy 2023 Apply Online, BSNL Recruitment 2023 Education Qualification, Form Fee, Age Limit, Exam Date, Syllabus And Exam Pattern, Bharat Sanchar Nigam Limited Bharti 2023 Apply Online Form Link In Down भारत संचार निगम लिमिटेड बीएसएनल में जूनियर टेलीकॉम ऑफिसर के 11705 पदों पर इस बंपर भर्ती का विज्ञापन घोषित कर दिया गया है बेरोजगार अभ्यार्थी के लिए नौकरी लगने का यह सबसे शानदार मौका है इस भर्ती के लिए सभी बेरोजगार अभ्यार्थी अवश्य आवेदन करें बीएसएनल जेटीओ भर्ती 2023 का ऑफिशियल विज्ञापन और आवेदन करने का डायरेक्ट लिंक नीचे उपलब्ध करवाया गया है   बीएसएनएल भर्ती 2023 हेतु जारी हुआ यह नोटिफिकेशन 11705 पदों पर विभाग की आधिकारिक वेबसाइट पर निकाला गया है बीएसएनल जेटीओ भर्ती 2023 के ऑनलाइन आवेदन 10 जनवरी 2023 से 31 ज
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जोधपुर के राठौड़ | Jodhpur ka Rathore Vansh|मारवाड़ का राठौड़ वंश|जोधपुर के राठौड़ वंस|Marwar ka Rathore Vansh - मारवाड का इतिहास

  जोधपुर के राठौड़ | Jodhpur ka Rathore Vansh|मारवाड़ का राठौड़ वंश|जोधपुर के राठौड़ वंस|Marwar ka Rathore राठौड़ों की उत्पत्ति से संबंधित मत राठौड़ों की उत्पत्ति को लेकर इतिहासकार एकमत नहीं है अनेक इतिहासकारों ने इस संबंध में अपने-अपने मत प्रस्तुत किए हैं जिसमें प्रमुख मत निम्नलिखित हैं— राजस्थान के आधुनिक इतिहासकार डॉक्टर गोपीनाथ शर्मा के अनुसार–  मारवाड़ के राठौड़ राष्ट्रकूट वंश से संबंधित हैं मुहणोत नैणसी ने-  इन्हें कन्नौज के जयचंद गढ़वाल का वंशज माना है इस मत का समर्थन दयालदास री ख्यात और पृथ्वीराज रासो में भी किया गया है सर्वप्रथम डॉक्टर हार्नली ने — राठौड़ों को गहड़वाल वंश से पृथक माना है डॉक्टर गौरीशंकर हीराचंद ओझा  के अनुसार- राठौड़ बदायूं के राठौड़ वंश का वंशज है जोधपुर राज्य की ख्यात  में– राजा विश्वुतमान के पुत्र वृहदबल से राठौड़ों की उत्पत्ति मानी है 1596 में लिखित  राठौड़ वंश महाकाव्य  में–राठौड़ों की उत्पत्ति भगवान शिव के शीश पर स्थित चंद्रमा से बताई गई है कर्नल जेम्स टॉड  ने ख्यातो के आधार पर- राठौर को जयचंद्र गढ़वाल का वंशज माना है राज रत्नाकर  और कुछ जाटों के अनुसार–ह

हाड़ौती के चौहान वंश-hadoti ke chauhan|हाड़ा राजपूतों की वंशावली|हाड़ा चौहान|हाडा राजपूत हिस्ट्री इन हिंदी|हाड़ौती का भूगोल एवं इतिहास (Geography and history of Hadoti)

  चौहान वंश-hadoti ke chauhan|हाड़ा राजपूतों की वंशावली|हाड़ा चौहान हाडा राजपूत हिस्ट्री इन हिंदी राजस्थान के दक्षिणी पूर्वी भाग को हाड़ौती के नाम से जाना जाता है। हाडोती में वर्तमान बूंदी ,कोटा, बारा क्षेत्र आ जाते हैं महाभारत काल में यहां मीणा जाति निवास करती थी मध्यकाल में भी यहां मीणा जाति निवास करती है हाडोती में 1332 में चौहान वंश की स्थापना हुई और उनकी स्थापना देव सिंह ने की 374 ईस्वी में कोटा को इसकी राजधानी बनाया गया इसका अंतिम शासक वीर सिंह था जो मुसलमान बादशाहों के आक्रमण से मारा गया और उसके पुत्र भी बंदी बना लिए गए इस प्रकार राज्य समाप्त हो गया बूंदी के चौहान (  Bundi Chauhan ) अरावली पर्वतमाला की गोद में बसा बूंदी शहर का नाम मीणा शासक बूँदा के नाम पर बूंदी पड़ा | रणकपुर लेख में बूंदी का नाम वृन्दावती मिलता है  बूँदा के पोते जेता मीणा को हराकर हांडा चौहानदेवा ने यहाँ 1241 ई के लगभग चौहान वंश का शासन स्थापित किया वंशावली संस्थापक –  देवा चौहान समर सिंह – 1343- 1346 ई राव नरपाल जी – 1349 – 1370 ई राव हामा जी (हम्मीर) 1388 – 1403 ई राव वीर सिंह – 1403 – 1413 ई राव बेरीशाल – 1413

गुहिल वंश -Guhil-Sisodia Dynasty-मेवाड़ का गुहिल वंश | मेवाड़ वंश का इतिहास

गुहिल वंश -Guhil-Sisodia Dynasty मेवाड़ का गुहिल वंश | मेवाड़ वंश का इतिहास गुहिल वंश ( Guhil-Sisodia Dynasty Part1 ) सन 556 ई. मेरे जिस गुहिल वंश की स्थापना हुई, बाद मे वही गहलोत वंश बना और इसके बाद यह सिसोदिया राजवंश के नाम से जाना गया । जिसमे कई प्रतापी राजा हुए, जिन्होंने इस वंश की मान मर्यादा, इज्जत और सम्मान को न केवल बढाया बल्कि इतिहास के गौरवशाली अध्याय मे अपना नाम जोड़ा । Related image महाराणा महेंद्र तक यह वंश कई उतार-चढ़ाव और स्वर्णिम अध्याय रचते हुए आज भी अपने गौरव व श्रेष्ठ परम्परा के लिए पहचाना जाता है । मेवाड अपनी समृद्धि, परम्परा, अद्भुत शौर्य एव अनूठी कलात्मक अनुदानो के कारण संसार परिदृश्य मे देदीपयमान है । स्वाधीनता एव भारतीय संस्कृति की अभिरक्षा के लिए इस वंश ने जो अनुपम त्याग और अपूर्व बलिदान दिये जो सदा स्मरण किये जाते रहेगे । मेवाड की वीर प्रसूता धरती मे रावल बप्पा, महाराणा सांगा, महाराणा प्रताप जैसे शूरवीर, यशस्वी, कर्मठ, राष्ट्रभक्त व स्वतंत्रता प्रेमी विभूतियो ने जन्म लेकर न केवल मेवाड वरन् संपूर्ण भारत को गोरानवित किया है । स्वतंत्रता की अलख जगाने वाले महाराणा

maharana pratap||महाराणा प्रताप||मेवाड़ का वीर योद्धा महाराणा प्रताप||Maharana Pratap History : भारत के गौरव महाराणा प्रताप की वीरता का इतिहास जानिए

maharana pratap||महाराणा प्रताप||मेवाड़ का वीर योद्धा महाराणा प्रताप||Maharana Pratap History : भारत के गौरव महाराणा प्रताप की वीरता का इतिहास maharana pratap in hindi >    इतिहास में राजपुताने का गौरवपूर्ण स्थान रहा है। यहां के रणबांकुरों ने देश, जाति, धर्म तथा स्वाधीनता की रक्षा के लिए अपने प्राणों का बलिदान देने में कभी संकोच नहीं किया। उनके इस त्याग पर संपूर्ण भारत को गर्व रहा है। वीरों की इस भूमि में राजपूतों के छोटे-बड़े अनेक राज्य रहे जिन्होंने भारत की स्वाधीनता के लिए संघर्ष किया। इन्हीं राज्यों में मेवाड़ का अपना एक विशिष्ट स्थान है जिसमें इतिहास के गौरव बप्पा रावल, खुमाण प्रथम महाराणा हम्मीर, महाराणा कुम्भा, महाराणा सांगा, उदयसिंह और वीर शिरोमणि महाराणा प्रताप ने जन्म लिया है। सवाल यह उठता है कि महानता की परिभाषा क्या है। अकबर हजारों लोगों की हत्या करके महान कहलाता है और महाराणा प्रताप हजारों लोगों की जान बचाकर भी महान नहीं कहलाते हैं। दरअसल, हमारे देश का इतिहास अंग्रेजों और कम्युनिस्टों ने लिखा है। उन्होंने उन-उन लोगों को महान बनाया जिन्होंने भारत पर अत्याचार किया या जिन्